थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ०३ कुँवार २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं ३ आश्विन २०८२, शुक्रबार ]
[ 19 Sep 2025, Friday ]

विचार

कोरोना कहरमे गरीबी

कोरोना कहरमे गरीबी

कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) कहाँसे उत्पन्न हुके दुनियाँ भर कैसिक फैलता कना आझकलके जन्ना सुन्ना थोरचेफे विवेक हुईल लर्का पुर्खन सकहुन पटै हुईल बात हो । कोरोनाके राक्षसीरूपी प्रकोपसे आझके समयसम दुनियाँ भरमे करिब दश लाख मनैनके अकालमे
थारू मन्टरके दस्तावेज

थारू मन्टरके दस्तावेज

                ‘थारू गुर्वाः परम्परागत उपचार प्रणाली’ नाउँके किताब हालसाले आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठान प्रकाशन कर्ले बा ।  कृष्णराज सर्वहारी गुरुवन्के विविध पक्षके अनुसन्धान कैके अनुसन्धानमे

थारुनके प्रथाजन्य कानुन बरघरिया प्रणाली ओ राज्यमे यकर अवस्था

थारु जातिके परिचय: थारु जाति नेपालके मूलवासी तथा तराईके भूमिपुत्र हुइट । यी समुदायके मुख्य पेशा नै कृषि हो । नेपाल अधिराज्यके पूरुबमेचिसे पश्छिउ महाकालीसम तराई तथा भित्री मधेशके समतल फाँटमे प्राचिनकालसे बसोबास करटी आइल बाटै ।

विचलित मनलाई सम्वोधन गरौँ

एकाविहानै एक अवोध बालिकाले मलाई स्कुल कहिले खुल्छ अँकल भनेर सोधिन् । म सँग त्यसको सत्य जवाफ थिएन, शिवाय बन्दाबन्दी खुलेपछि । त्यस्तै एकजना क्वारेन्टाइनमा बसेका व्यक्तिले “परिवार कसरी पाल्ने होला । छिमेकी राष्ट्र भारतमा ज्यालामजदुरीको

थारु भासा साहिट्य ओ पुस्टा हस्टान्टरन

डा. कृष्णराज सर्वहारी लकडाउन अर्ठाट बन्डाबन्डिके समयमे मनैन् डिन बिटैना कर्रा पर्टि बटिन् । ओहोर किसान अपन कामेम् डँटल बटाँ । लकडाउनमे डिन कसिक बिटाइक चाहि मेहनटके पुजारि किसानलोगन्से सिखक चाहि । यि अलग बाट हो कि ओइनके टिनाटावन

राष्ट्रिय युद्धमे थारुनके राष्ट्रवादी चरित्र

कारी महतो हजारौं वर्षसे नेपालके तराई भूभागमे बसोबास करटी आइल थारु समुदाय टमान कालखण्डमे देशके लाग निरन्तर टमान योगदान करटी आइल बाटै । इतिहासमे यी बाट कतिपय अलिखित रहल कलेसे कतिपय बाट दस्तावेजके रुपमे प्रकाशनमे आइल बा । उ मध्ये
विपत्तिमा मानवताको चित्कार कहिलेसम्म ?

विपत्तिमा मानवताको चित्कार कहिलेसम्म ?

सुशील चाैधरी प्रकृतिको नियम नै यस्तो छ, नयाँ निर्माणका लागि ध्वंस निम्त्याउने । मानिस कविला, गण र विभिन्न मानव समूह हुँदै पशुपालन, कृषि पेशा संगै कुटिर उद्योगबाट सिक्दै आधुनिक उद्योग विकासको क्रमसम्म आइपुग्दा मानव सभ्यताको विकासगर्न
थारून्के मरुवा ओ पहिचानके खाेजी

थारून्के मरुवा ओ पहिचानके खाेजी

सुरेश चौधरी विषय प्रवेश हर साल जेठ असार महिना सुरु हुइलागे टे हमार आजा घरक सक्कु लर्कन बाज ओ लसुन गु‘ठके घेंचामे माला घलाडेहे । महीन सम्झना बा, मै ६ कक्षा पह्रटसम (वि.स.२०५१ सालटक) मोरीक घेंचामे बाज ओ लसुनके माला परल रहे । उ समयमे थारू
आस्था, विश्वास ओ अन्धविश्वास

आस्था, विश्वास ओ अन्धविश्वास

सुशील चौधरीमनै सामाजिक प्राणी हुइटै कना कहाई आम रुपमे स्थापित विचार हो । मनै साँस्कृतिक प्राणी हो कना सवालमे ओत्रा ढेर हेक्का रहल नाइ विल्गाइठ । मनै साँस्कृतिक रहल ओरसे सामाजिक रहठै कहेबेर झन जटिलता ठपजाई । मने, वास्तवमे मनै जन्मना
अनिकालमे बिया, महामारीमे ज्यान बचाई

अनिकालमे बिया, महामारीमे ज्यान बचाई

हम्रे अनलाइनमे हाजिर बाटी विश्वभर महामारीके रूपमे फैल्टी रहल कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) के कारण पहुरा थारु दैनिकके प्रिन्ट संस्करण गैल चैत्र १२ गतेसे पाठक सामु पुगे नाइसेकल हो । कोरोना भाइरसके संक्रमणसे बाँचेक लाग प्रायः सक्कु देशमे