थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १३ बैशाख २६४९, शनिच्चर ]
[ वि.सं १३ बैशाख २०८२, शनिबार ]
[ 26 Apr 2025, Saturday ]

विचार

रासायनिक विषादीको असर, सुरक्षित प्रयोग र न्युनिकरण गर्ने उपायहरु

रासायनिक विषादीको असर, सुरक्षित प्रयोग र न्युनिकरण गर्ने उपायहरु

कुनै पनि शत्रु कीरा (कीटनाशक), रोग (ढुसी नासक, ब्याक्टेरीया नासक), झारपात (झारपात नासक, हर्बिसाइड) तथा अन्य जीव जस्ले हाम्रो खाद्यान्न, बोटबिरुवाहरुको वृद्धि विकास तथा उत्पादन, भण्डारण समय र गुणस्तरमा ह्रास ल्याउँदछन् र तिनीहरुको असर
संघ ओ प्रदेश सरकार गिरैना बनैना नागरिक उन्मुक्तिके हाठमे बाः रेशम

संघ ओ प्रदेश सरकार गिरैना बनैना नागरिक उन्मुक्तिके हाठमे बाः रेशम

पहुरा समाचारदाताहसुलिया, १६ जेठ । पूर्वसांसद रेशम चौधरी संघ ओ प्रदेश सरकार नागरिक उन्मुक्ति पार्टीके हाठमे रहल बटैले बाटै । मंगरके हसुलियामे हुइल कार्यक्रमहे सम्बोधन कैटी उहाँ संघ ओ प्रदेश सरकारहे गिरैना, हिलैना, बनैना नागरिक
माघ पर्व ओ रुपान्तरणके आवश्यकता

माघ पर्व ओ रुपान्तरणके आवश्यकता

विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजाति, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम १२५ भाषा एवम् १२९ ठो जातजाति रलक मुलुक हुइलक आहर्से हरेक जातजातिके फरक फरक आफन संस्कृति बाटिन् । थारू नेपालके तराई ओ
चित्रकारितामे थारु युबनके उपस्थिति

चित्रकारितामे थारु युबनके उपस्थिति

सुरुवात विश्वमे सबसे ज्यादा बुझ्ना भाषा कलक चित्र हो । चित्र हेरके नैपर्हल मनैयाँ फेन कहे सेकि ओ बुझे सेकि कि इ-इ चिज हो कहिके । हरेक मनैंनमे कुछ ना कुछ कला, सीप ओ ज्ञान डेके पठैले रठैं भगवान । हमार समाजमे फेन कुछ असिन कला रहल मनैं फेन
थारु समुदायहे अन्तर्घात कहाँसम ?

थारु समुदायहे अन्तर्घात कहाँसम ?

रेशम चौधरी छुट्ना हल्ला पिटल दुई साता पहिले हो । टीकापुर मुद्दा खारेजीके समाचारसे सञ्चार माध्यममे मजेसे ठाउँ पैले रहे । सामाजिक सञ्जाल भरिभराउ रहे । नेपाली राजनीतिक वृत्तसे थारू गाउँमे रेशम चौधरी छुट्ना चर्चा माहौल ढिकैले रहे ।
थारु समुदायके अटवारीः कहिया ओ कैसक

थारु समुदायके अटवारीः कहिया ओ कैसक

अटवारी, थारू समुदायके महान् चाड माघ पाछेक दोसर भारी पर्वके रूपमे मानजाइठ । यी पर्वमे खास कैके पुरुषहुक्रे निराहार व्रत बैठके मनैठैं । यद्यपि स्वेच्छा कोइ महिलाहुक्रे फेन व्रत बैठल पाजाइठ । दीर्घायू, सुस्वास्थ्य एवम् सुखमय जीवनके
अष्टिम्की: प्रकृति र मानव जीवनको महिमा

अष्टिम्की: प्रकृति र मानव जीवनको महिमा

हरेक समुदायमा रहेको चाडवाड, उत्सवलगायतका संस्कृतिसँग जोडिएर रहेको विविधताले त्यो समुदायको पहिचान झल्काउँछ । नेपाल यस्तो देश हो जहाँ विभिन्न जाति समुदायको आआफ्नै कला संस्कृतिहरू रहेका छन् । चाड पर्व, चालचलन रहेको छन् । यसले देशको
भाषा ओ संस्कृतिके अभियान

भाषा ओ संस्कृतिके अभियान

कौनो जातिके पहिचान विलैना बा कलसे उ जातिके भाषा ओ संस्कृति विलाई परठ कैखे अंग्रेजीम एक्ठो कहाई बा । हुइना फे भाषा ओ संस्कृति विलाईट कलसे कौनो फे जातिके पहिचान सुस्ट सुस्ट हेरैटी जाइट । उह होर्सेँ आपन भाषा ओ संस्कृति के संरक्षण कर्ना
बेलापरसुवासे लखनऊसम परगा

बेलापरसुवासे लखनऊसम परगा

अभिन छोटे रहुँ । मने जानेजुकुर होगैल रहुँ । बुडुक् महा डुलारु रहुँ । छोटेमे बुडुक् संग कबु बन्सी लगाइ टे कबु पहुनी खवाइ हुइल । इ संस्मरणमे इन्डिया घुम्लक् लावा ओ पुरान बातचित आझ इ लिख्नौटीमे लिख्नास लागल । इहे गैल २०७९ जेठ १४ गते
विदेशी सोंचके एक हल्कोरा

विदेशी सोंचके एक हल्कोरा

विश्व अब्बे आर्थिक क्रान्तिके डगरमे दिन प्रतिदिन आघे बहरटी बा । मने नेपालके सन्दर्भ भर ठिक उल्टा डेख मिलट । नेपालके सन्दर्भमे हेरेबेर उत्पादन दक्षता हुइल ओ दक्ष युवा जमात दिन दिने विदेशीनाक्रम बहरटी गील बा । एकर प्रत्यक्ष प्रभाव