थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]

विचार

थारू लेखक संघः आब यकर डगर

थारू लेखक संघः आब यकर डगर

थारू जात नेपालके जनजाति अन्तर्गत परठ । यी जाति जबफेन राज्य सत्तासे अपहेलित तथा अपेक्षित जात हो । तथापि ईतिहासके टमान कालखण्डमे हुइल राजनीतिक आन्दोलन ओ यिहिनसे नानल परिवर्तनसंगे यी समसदाय अपन भाषा, संस्कृति, कला, साहित्य, गीत, संगीत
जन्यावन जुट्यलाम जैना काजे कर्रा ?

जन्यावन जुट्यलाम जैना काजे कर्रा ?

साहित्यके परिभाषा ढेर नै जन्लसेफे साहित्य ह ढेर मैयाँ कर्नामढ्ये मै फे एक हुइटु । टुटल फुटल शब्द जोर भर्खर सिक्टी बाटु । जोरबिटोरक कभुकाल गजल, कबिता लिख जाइट् । हरेक साल हुइना थारु साहित्यक् पाँचवा म्याला असौक साल सुर्खेतम हुइना
मोर अष्टिम्की कला यात्राः अनुभव ओ अनुभूति

मोर अष्टिम्की कला यात्राः अनुभव ओ अनुभूति

२०१५ मार्च ८, अन्तर्राष्ट्रिय नारी दिवसमे दाङसे सहभागिता हुइ पाटनके कृष्ण मन्दिर परिसरमे बिहन्ने आपुग्नु । नेपालके टमान जिल्लासे टमान जाति, धर्म, संस्कृति किल नैहुके कलाके टमान विधाके हम्रे सहत्तरी जाने व्यक्तिहुक्रे एक ठाउँमे
अष्टिम्की पर्व ओ अष्टिम्की चित्रकलाके महत्व

अष्टिम्की पर्व ओ अष्टिम्की चित्रकलाके महत्व

विषय प्रवेशः चाडपर्व (टरटिहुवार) मनैन्हे चौकस ओ चम्पन बनाइठ । हरेक जाति समुदायके अपन मौलिक तौरतरिकासे मन्ना टमान चाडपर्व रहठ । थारू एक अलग पहिचान डेना मेरिक अपन भाषा संस्कृति एवम् सामाजिक रीतिरिवाज रहल जात हो । थारू जात अन्य जातहुकन
थारु भासा, संस्कृटिके डस्टावेजिकरणमे खै बल्गर खम्हा ?

थारु भासा, संस्कृटिके डस्टावेजिकरणमे खै बल्गर खम्हा ?

कौनो जबाना रह, जब आपन भासा बोल्लसे वा भासिक क्रान्टि कर्लसे जेल जाए पर्ना । जब जब मै थारु भासाके थारु साहित्यक जुट्यालाम सहभागि हुइठुँ, टब टब लागट महिन आजसे लगभग कैयौँ बरस आघ कसिन रहट म्वार भासक बैठावन ? इ चिज ट आभिन खोज्ना बाँकि जो बा
टीकापुर थारु विद्रोहः इतिहास कि प्रपञ्च ?

टीकापुर थारु विद्रोहः इतिहास कि प्रपञ्च ?

टीकापुरमे ७ भदौ, २०७२ सालमे हुइल थारु विद्रोहके छ वर्ष पुरा करले बा । यी छ वर्षहे समीक्षा करेबेर मनोदशा बल्गर हुके आइल नइपाजाइठ । थरुहट आन्दोलन उठ्न कोशिश करेलेफे सेकल नइहो । टबमारे, निर्दोष राजबन्दीहुकनके रिहाईसम हेरेबेर थारु
६ वर्षपछि टीकापुरः कहिले निभ्ला त्यो संरचनागत हिंसाको आगो

६ वर्षपछि टीकापुरः कहिले निभ्ला त्यो संरचनागत हिंसाको आगो

केही दिनअघि लक्ष्मण थारुसँग काठमाडाैंमा संक्षिप्त भेटमा टीकापुर घटनाकाे सम्झना भयाे । जिस्काजिस्कीमा उनले प्वाक्क भने, ‘तपाईंसँग भेटेकाे भाेलिपल्ट म समातिएँ ।’ थारु नेता लक्ष्मणले तीन वर्ष कैद भुक्तानी गरिसकेका छन्, यही टीकापुर
टीकापुरः अदृश्य कथा

टीकापुरः अदृश्य कथा

रमदैयाके घर पुगेबेर अन्ढार होसेकल रहे । हुकहान घरक आजरपाजरके घरम बत्ती बरसेकल रहे । रमदैयक् घर भर अध्यार रहिन् । आपन घरक पन्जेर घरक बरल बत्तीक आजरारमे, रमदैया आपन अंग्नम बेरी पकाइटही फु फु आगी फुक्टी । टीकापुर घटना पहिले रमदैयक घर
थारू समुदायमे बालपर्व ‘गुरही’

थारू समुदायमे बालपर्व ‘गुरही’

संस्कृति हरेक समुदायके आपन मौलिक पहिचान हो । कौनो फेन जातिके जातीय पहिचान कला, संस्स्कृति ओ भाषासे जोडल रहठ् । थारु समुदायमे फेन अस्टे ढिउर संस्कृति रहल बावै । जौन अब्बे प्रायः लोप हुइना अवस्थामे बावै । कुछ रुपमे हुइलेसे फेन उ संस्कृति
थारू मानक भाषा बहस कौन चरणमे पुगल ?

थारू मानक भाषा बहस कौन चरणमे पुगल ?

थारू लेखक संघ नेपालके आयोजनामे पाँचौँ संस्करणसम थारू मानक भाषा बहस प्रमुख स्थान ओगटले बा । यिहे सम्मलेनसे थारू मानक भाषाके जन्म डेहल कलेसे किहुहे आपत्ति नैहुइ । यकर प्रमुख श्रेय वरिष्ठ साहित्यकार तथा भाषा विद् डा. कृष्णराज सर्वहारी,