पहुरा
१६ श्रावण २०७८, शनिबार
“रे, गाउँक मनै…काल तिनमोहनम बेगारिकर जैनाबा…”काल सन्झ्यै,चौकि दर्वा हाक पारलबुद्धा, तकेहुवा ओ रसकुमारक्यु भेलोरिक,क्यु केराके झक्ख्राक्यु बाँसक मुन्ना काटक,तरखरम रहै बेगारि जाय काल अङ्गत्ति जईमबेगारि कहुईया,आँखि मिस्ति निक्रल