थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १३ बैशाख २६४९, शनिच्चर ]
[ वि.सं १३ बैशाख २०८२, शनिबार ]
[ 26 Apr 2025, Saturday ]

साहित्य

डेसौरी थारु लोक गिट

डेसौरी थारु लोक गिट

सिंगारु/सिंगारो गिट सिंगारु पानी बर्साइक लग ठारु (मरड) मनै खेटवा जोटेबेर गैना गिट हो । यम्ने एक ठँरिया गंगा लहाइ जाइक लग अपन डाइसे खराउ, छुरिया, लट्ठी, ढोटि मंग्ले बा । ऐसेबेर घरहिं लहैना मनै आब काजे गंगा लहाइ जाइ परल कहेबेर उ कहठ, पहिले
रविना चौधरीहे श्रीनारायण दाहाल स्रष्टा सम्मान

रविना चौधरीहे श्रीनारायण दाहाल स्रष्टा सम्मान

पहुरा समाचारदाताधनगढी, १३ कुँवार । मानव अधिकार तथा शान्ति समाजसे १५ स्रष्टाहे सम्मान कैना हुइल बा । समाजसे स्रष्टा सम्मान अभियानअन्तर्गत स्थापित पुरस्कारसे १५ स्रष्टाहे सम्मान कैना निर्णय करल हो । समाजसे वर्ष २०७८ के श्रीनारायण
कब आइ अग्रासन ?

कब आइ अग्रासन ?

डाई बाबानके कोखमेजरम लेकेबहर पहुरके डोसरघर जाई पर्नाछाईक जातघरबार थरुवा जैसिन रहलेसे फेनजिन्गी कटाई पर्नालहेरिक यादमे जिये पर्नाडाई बाबा डाडा भैया सबजनहन सम्झटीबरसमे दुइचो लहेरिक पहुराअस्रा रहनाअग्रासन ओ निसराउकेटमान डिडी
अट्वारि

अट्वारि

रानी व राजु डिडि भैया हुइट । हुँक्र बहुट मिलँट । सँग स्कुल जाइँट, सँग घर आइँट । आपन अङ्नम खोल्टि खान्क घोरबासा संग ख्यालँट । अट्रासम हुक्र एकऔर जाहन मैयाँ करँट । रानी नि आइल म राजु भाट निखाए । रानी फे ओसहँक करि । हुकहिन डुनु
का लिखु टिकापुर !

का लिखु टिकापुर !

यी डुन्या संसारम टुहार बारेम सबजन जान सेक्लऊ टुहार हक अधिकार मङ्लक हो कैक मान सेक्लआफन पहिचान मङ्लो दासताके जन्जिर टोर्लोछो छो बरस सम कारागारके दुःखकष्ट खान सेक्लो ।खै लिखु टिकापुर टुहार दुःखक कथा ? आझसस सरकार न्याय दिह निस्याकठोकसिन
टीकापुर ओ डेसके बरघरियन

टीकापुर ओ डेसके बरघरियन

अब्बे इ डेसके बरघरमिस्टर देउवा बटाँ ।कुछ समय पहिलेमिस्टर ओली रहिंट ।डेसके बरघर जे जे बनठउ कहठ–‘टीकापुर काण्डमे जेलमे रहलसब थारु निर्डोस बटाँ ।‘सांसद रेशम चौधरी निर्डोस बटाँ ।मने कानुनी हिसाबसेओइन छोरे नै मिलि ।’ओहोर डेसकेसहायक
बेँर्रा

बेँर्रा

सपना काठ्मन्डु पह्रि । कबुकाल डस्या डेवारिम घर आइ । हुकहिन थारु समाज न पस्गुरल लागिन । जब उ आपन डाई हन बेर्रा भाँरुट, ढक्या, डेल्वा बिनट डेखि व बाबाहन छिट्नि, गैँजा, डेल्या व हेल्का बिनट् डेखि । आपन डाई बाबन कहि– “का डुख कर परल डाई ।

जरावर

ओरगान छोट्की पुछ्ठिन असौ फे जरावर नाई लै डेबा कि का हो? पोरसाल नाई लेलो लर्कनके एक एक जोर डरेसे किल आटिन मोर पेटीकोटमे सात अडरके पेउँडा बा असौं जैसिक लेहिहीक परी। छोट्का सबके लग लैडेम कहठ ओ गाउँ ओर जाईटु कैहके घरसे निकरठ। का कामले जाईटु
बेगारी

बेगारी

“रे, गाउँक मनै…काल तिनमोहनम बेगारिकर जैनाबा…”काल सन्झ्यै,चौकि दर्वा हाक पारलबुद्धा, तकेहुवा ओ रसकुमारक्यु भेलोरिक,क्यु केराके झक्ख्राक्यु बाँसक मुन्ना काटक,तरखरम रहै बेगारि जाय काल अङ्गत्ति जईमबेगारि कहुईया,आँखि मिस्ति निक्रल
दुई मुक्तक

दुई मुक्तक

१. बुट्टा फुन्ना लेहङगा छलकल, फरिया मन परलठुमुक ठुमुक नेङगना गोरी,करिया मन परल मन परल आँखी गरल, तोहार चालडाल मेछैली आके कहो तु,तुहिन कोन ठरिया मन परल ।। २. पुठठम गोनिया छड्के, तुना चोली मनपरलसुतिया मंगिया तरकी सपरल, टोली मनपरल छलको छलको